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दादी प्रकाशमणी जी की 10वीं पुण्यतिथि
इस अवसर पर दिव्यधाम सेवाकेन्द्र संचालिका सरिता बहन ने दादी प्रकाशमणी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दादी जी ने विश्व शांति, विश्व सेवा, एवं विश्व बंधुत्व की जीती जागती मिसाल थी। उन्होने विश्व के पांचो महाद्वीपो में आध्यात्म की लौ प्रज्वलित किया। बचपन से ही उनके भीतर भक्ति भावना कूट कूट कर समाई हुई थी। उनकी मधुर वाणी और कुशाग्र बुद्धि ने बचपन से ही सभी को प्रभावित किया। ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संपर्क में आने के बाद उन्होने अपनी इस विशेषता को जन कल्याण और विश्व सेवा में अर्पित कर दिया। प्रजापिता ब्रह्मा के देहवसान के पश्चात् ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बागडा्रेर उन्हे प्राप्त हुई तब सारे भारत में मात्र 150 सेवाकेन्द्र हुआ करते थे। जिसे दादी जी ने अपने कुशाग्र बुद्वि, वात्सल्य, एवं अपनापन से सेवा विस्तार करते हुए 9500 नए सेवाकेन्द्र स्थापित किया। विश्व स्तर के उनके कार्यो को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सघ ने उन्हे अंर्तराष्ट्रीय शांतिदूत पुरस्कार से सम्मानित किया। दादी जी ने कभी अपने आपको संस्था प्रमुख नही माना वे स्वंय को परमात्म सेवाधारी समझकर ही रहे। उनके मार्गदर्शन एवं पालना में करीब 35000 ब्रह्माकुमारी बहनो ने अपना जीवन ईश्वरीय विश्व विद्यालय को समर्पित किया।
सुरजीत नवदीप, प्रसिद्व कवि एवं साहित्यकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि परिवार में सद्भावना जगाना हमारी जिम्मेदारी है। सद्भावना हमें एक दूसरे का सहयोग करना, परवाह करना सिखाता है। वर्तमान समय समाज में चरित्र निमार्ण की आवश्यकता है। दादी जी ने हमें सिखाया कि चरित्र निर्माण वाणी से नही लेकिन अपने जीवन चरित्र से किया जाता है। अपने जीवनकाल में दादी एक सेवक के तरह रही और अपनी सेवा से समाज के सभी वर्गो को प्रेरणा देते रही।
हरमीत छाबडा, सुरेश देशमुख, सेवानिवृत्त व्याख्याता, प्रमीला देशमुख सेवानिवृत्त व्याख्याता एवं राजेश अजवानी ने भी अपीे श्रद्वांजली सुमन दादी जी को अर्पित किया। इस अवसर पर बडी संख्या में ब्रह्माकुमार भाई एवं बहनें उपस्थित हुए।
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Sleep Management & Mental Empowerment
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International Women’s Day
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Raj Yoga Shivir
संसार का हर मनुष्य सुख–शांति की तलाश में रोज मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारे में गुहार लगा रहा है। पूजा, पाठ, आरती, व्रत, उपवास, तीर्थ आदि धक्के खा खाकर इंसान थक गया है लेकिन सुख शांति आज भी कोसों दूर है.. बल्कि दुख, अशांति बढ़ती जा रही है, इसका एकमात्र कारण है देह अभिमान में वृद्धि होना और इन सब समस्याओं का एकमात्र निवारण और सुख, शान्ति का एकमात्र रास्ता स्व आत्मा का ज्ञान और परमात्मा की सही पहचान । इसी सत्य ईश्वरीय ज्ञान से और ईश्वर प्रदत्त राजयोग मेडिटेशन से सच्ची सुख, शान्ति का खजाना सहज ही मिल जाता है और सारा जीवन तनाव मुक्त होकर खुशहाल हो जाता है।”
जिसमें प्रात: 10 से 12 एवं संध्या 5 से8 बजे तक राजयोग मेडिटेशन का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जायेगा
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